Sunday, January 20, 2019

शंकरजयकिशन के गीत और आध्यत्मिकता


मोहब्बत के खुदा हम है......
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वर्ष 1968 में शंकरजयकिशन के संगीत से सजी दिल को स्पर्श करने वाली फ़िल्म ब्रह्मचारी प्रदर्शित हुई थी।इस फ़िल्म के गीतों की लोकप्रियता का यह आलम है कि इसके गीत आज भी गुनगुनाये जा रहे है।इस फ़िल्म में शंकरजयकिशन का संगीत पूर्णिमा के चांद की मानिंद था।इस फ़िल्म को कई अवार्ड भी मिले।शम्मीकपूर तथा राजश्री अभिनीत इस फ़िल्म में एक से बढ़कर एक गीत थे जो प्रायः अब भी सुने जाते है..दिल के झरोखे,में गाउँ तुम सो जाओ,चक्के पे चक्का,आजकल तेरे मेरे..इन गीतों के बाद अन्य गीतों पर घड़ी की सुई अटक सी जाती है।इस फ़िल्म में राजेंद्रकृष्ण का लिखा तथा मोहम्मद रफी का गाया एक तेज गति का उर्जात्मक गीत था....
कोई प्यार हमे भी करता है
हम पर भी कोई मरता है
हमे तुम क्या समझते हो
मोहब्बत के खुदा हम है....
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यह गीत अमीरी व गरीबी में स्पष्ट विभाजन करता है।प्रेम की मजबूत जड़ें गरीबी में ही मिलती है,अमीरी में नही? अमीरी में प्रेम भौतिक संसाधनों के उपर निर्भर करता है किंतु गरीबी में प्रेम त्याग के धरातल पर खड़ा होता है।गरीबी नित्य परीक्षा लेती है अमीरी नही?जिस रोज अमीरी की परीक्षा होती है वह सहम सी जाती है,वह आत्मकेंद्रित व दिखावटी होती है,उसमे संघर्ष होता ही नही?और जहां संघर्ष नही होता वहां प्रेम कदापि नहीं होता है।गरीबी में प्रतीक्षा,त्याग व लज्जा होती है वहां जो प्रेम उत्पन्न होता है उसका सौंदर्य ही कुछ अलग होता है।हमारी फिल्मो अथवा साहित्य में प्रायः सौंदर्य इसीलिए गरीबी में ही दर्शाया जाता है।

फ़िल्म ब्रह्मचारी में राजेंद्रकृष्ण का यह एकमात्र गीत था जो अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था।इस फ़िल्म के नायक व नायिका की पृष्ठभूमि गरीबी से संबंध रखती है जो परोपकार को अपना लक्ष समझते है।जब नायक से नायिका प्रेम करने लग जाती है तो स्वाभाविक है यह उसके लिए अप्रत्याशित होता है तब वह खुशी से झूम उठता है और सारे जग को बताना चाहता है...
कोई प्यार हमें भी करता है,मोहब्बत के खुदा हम है...।सच मे जो परोपकारी है,उसका प्रेम साधारण हो ही नही हो सकता,वह वास्तव में प्रेम का परमात्मा है।

व्यक्ति से बड़ा विचार होता है।विचारो से व्यक्ति का व्यक्तित्व सजीव हो उठता है,भावना व्यक्तित्व को सौंदर्य से अभिमण्डित कर देती है तभी तो ये शब्द प्रेम में जन्म लेते है..

फूलों की ताजगी तू है,कलियों की नाजगी तू है
अब तेरी ज़िन्दगी में हूँ,ओर मेरी जिंदगी तू है
मोहब्बत के खुदा हम है....

भला अनुभूतियों की कोई माप होती है?वे तो बस होती है,उन्हें कहते चले तो कभी ठीक से नही कहा जा सकता,फिर भी इजहार करना करना होता है,प्रेम का मामला जो ठहरा और वह भी प्रेम के परमात्मा का?

आँखो से प्यार छलका के
हो देखा जो तूने शरमा के
पहलू में तेरे आ बैठे हम दो जहाँ ठुकराके
मोहब्बत के खुदा हम है..
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हृदय की भावना में सच्चा सौन्दर्य समाहित है,देह की सुंदरता में सौंदर्य खोजना बालू में तेल को तलाश करने जैसा है।सच्चा सौंदर्य उसकी संवेदनाओं, भावनाओ एवं विचारो में सन्निहित है।इन्ही में उसका आकर्षण है,प्रभाव ओर सौंदर्य है।और जब यह प्रभाव प्राप्ति कर लेता है तो मरुभूमि से ओएसिस फूटने लगता है..

होठों के जाम अपने है,ये सुबहो शाम अपने है
क्या फूल क्या तारे ये सब गुलाम अपने है
मोहब्बत के खुदा हम है...
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खुदा और वो भी मोहब्बत का ?भला यह सब उसके कैसे न हो ?चाहे होठों के जाम हो,सुबह शाम हो,फूल हो अथवा तारे हो सभी तो उसके गुलाम है।

राजेंद्रकृष्ण ने गरीबी को मोहब्बत का खुदा बताकर गरीबी को महिमा मंडित ही किया है।कुछ बुद्धिजीवियो की नज़र में यह गीत शायद कोई विशेषता न रखतां हो किन्तु मेरी दृष्टि में यह अद्वितीय है।

जाकी रही भावना जैसी प्रभू सूरत देखी तिन तैसी...!

मेरा उद्देश्य शंकरजयकिशन के प्रत्येक गीत को आध्यत्मिकता से जोड़ना है क्योकि यह समस्त शंकरजयकिशन के वो माणिक मोती है जो संगीत के मानसरोवर में अद्वितीय रूप में विद्यमान है जिन्हें परखने की जरूरत है।इस गीत में राजेंद्रकृष्ण ने प्रेम के परमात्मा की भावना को परिभाषित किया है।

प्रेम नदी की बहती धारा के समान है।जब यह पहाड़ से होकर गुजरती है तो अपने बहाव से चट्टानों में भी दरार डाल देती है।नदी और पहाड़ की दास्तान-ए-इश्क बहुत पुरानी है।जैसे पहाड़ नदी से प्रेम करता है,नदी भी उतनी ही शिद्दत से पहाड़ से प्रेम करती है।प्रेम कभी एकाकी ओर एकतरफा नही होता।एकांगी होती है--अधूरी इच्छाएं, जिन्हें प्रेम का नाम दे दिया जाता है।प्रेम तो एक पावन प्रवाह है,जहाँ से भी यह बहता है,वहां पावनता एवं शीतलता का स्पंदन ,स्पर्श एवं सौंदर्य के रंग उड़ेल देता है,मोहब्बत के खुदा में यही विशेषताऐ तो होती है।


Shyam Shanker Sharma
Jaipur,Rajasthan. 

Thursday, August 30, 2018

शंकर जयकिशन जी के सुरों में शैलेंद्रनामा : श्रद्धांजलि

 लेखिका 


Rekha Shenoy
रेखा शिनॉय

शैलेंद्र जी की ९५ वीं जन्मजयंति पर शंकर जयकिशन जी के सुरों में पिरोये उनके ९५ गीतों के मुखडों की अंताक्षरी कविराज शैलेंद्र जी को श्रद्धांजलि स्वरुप अर्पित...               

१)अजीब दास्तां है ये २)ये रात भीगी भीगी ये मस्त ३)तेरा मेरा प्यार अमर ४)रमैया वस्तावैया मैने दिल तुझको ५)कारे बदरा तू न जा न जा बैरी तू ६)तेरा जाना दिल के अरमानों का लुट जाना ७)नैन मिले चैन कहां दिल है वही तू ८)तू प्यार का सागर है तेरी एक बूंद ९)दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार ना रहा १०)होठों पे सच्चाई रहती है जहां दिल में ११)मेरा जूता है जापानी ये पतलून १२)नाचे अंग अंग अंग तेरे आगे १३)गुल मुस्कुरा उठा बुलबुल ये १४)ये चांद ये सितारे ये साथ तेरा मेरा १५)रुक जा ओ जानेवाली रुक जा १६)जहां मैं जाती हूं वही चले आते हो १७)हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना १८)नजर नजर से हो रही है बात प्यार की १९)किसीकी मुस्कुराहटों पे हो निसार २०)रुक जा रात ठहर जा रे चंदा २१)दिल अपना और प्रीत पराई किसने है ये २२)ये शाम की तनहाइयां ऐसे २३)सब कुछ सीखा हमने ना सीखी २४)खुली पलक में झूठा गुस्सा बंद पलक में २५)मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना परबत २६)तुम ही तुम हो मेरे जीवन में फूल ही फूल २७)लाल छडी मैदान खडी क्या खूब २८)बोल री कठपुतली डोरी कौन संग बांधी सच २९)चलत मुसाफिर मोह लिया रे पिंजडेवाली मुनिया ३०)याद ना जाये बीते दिनों की ३१)कहां जा रहा है तू ऐ जानेवाले अंधेरा है ३२)है सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द ३३)दम भर जो उधर मुंह फेरे ओ चंदा ३४)दिल की गिरह खोल दो चुप ३५)पतली कमर है तिरछी नजर ३६)रात और दिन दीया जले मेरे मन में फिर भी ३७)भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना भैया मेरे छोटी ३८)टीन कनस्तर पीट पीट कर गला ३९)लागे जब से नैन लागे हो दिल तो ४०)तुम्हे याद करते करते जायेगी रैन सारी तुम ४१)मतवाली नार ठुमक ठुमक चली ४२)लाखों तारे आसमान में एक ४३)केतकी गुलाब जूही ४४)हम काले है तो क्या हुआ ४५)आज कल में ढल गया दिन हुआ ४६)आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर ४७)रुला कर चल दिये एक दिन हंसी बन कर जो ४८)जीना यहां मरना यहां ४९)हमने जफा ना सीखी उनको ५०)क्या मिल गया हाए क्या खो गया ५१)याssssहू चाहे कोई मुझे जंग कहे कहने दो ५२)दिल तेरा दीवाना है सनम ५३)मुझे कितना प्यार है तुमसे ५४)सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास ५५)सवेरेवाली गाडी से चले जायेंगे कुछ लेके ५६)किसीने अपना बना के मुझको मुस्कुराना ५७)नैया मेरी मझधार ५८)रुमझुम के बजाओ बांसुरी मुरारी ५९)राजा प्यारे मत करो प्यार ६०)रंगरंगीली पगिया बांधे आये ६१)ये बरखा बहार सौतनिया के ६२)कर गया रे कर गया मुझपे जादू ६३)दिल का ना करना ऐतबार कोई भूले से ६४)सुर ना सजे क्या गाऊं मै ६५)मनमोहना बडे झूठे हार के हार नही मानी ६६)नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी ६७)ठहर जरा ओ जानेवाले बाबू ६८)बागों में बहारों में इठलाता गाता ६९)तुम्हारे है तुमसे दया मांगते है ७०)हाए तू ही गया मोहे भूल रे ७१)रिक्शे पे मेरे तुम आ बैठे अब ७२)बोल मेरी तकदीर में क्या है मेरे हमसफर अब तो ७३)तेरी याद दिल से भुलाने चला हूं के खुद ७४)दिल ऐ दिल बहारों से मिल सितारों से ७५)सूरज जरा आ पास आ आज सपनों की ७६)क्या बताऊं मोहब्बत है क्या ७७)ये मेरा दीवानापन है या मोहब्बत ७८)तुम जो हमारे मीत ना होते गीत ७९)तुम तो दिल के तार छेड कर हो गये ८०)ये लूट खसूट ये डाकाजनी ८१)नैनो वाली तेरे नैना ८२)नाच रे मन बदकम्मा ठुमक ठुमक ८३)कल नही पाये जिया मोरे पिया ८४)ये मुंह और मसूर की दाल ८५)लाली लाली डोलीया में ८६)मेरे तुम्हारे बीच में अब तो ना परबत ८७)तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय ८८)ये तो कहो कौन हो तुम ८९)मुझे तुमसे कुछ भी ना चाहिये मुझे मेरे हाल पे ९०)प्यार हुआ इकरार हुआ है प्यार से फिर क्युं ९१)ये दुनिया बनाई है ९२)हमसे कोई प्यार करो जी ९३)जो मै जानती उनके लिये मेरे ९४)राजा की आयेगी बारात ९५)तूने हाए मेरे जख्म-ए-जिगर को छू लिया....इसी तरह शैलेंद्र जी के गीत हमारे दिल के तार छेड जाते है एवं दिल को छू जाते है.... भावपूर्ण श्रद्धासुमन...